अमेरिकी आउटसोर्सिंग टैक्स और भारतीय IT का लचीलापन: एक दूरंदेशी दृष्टिकोण
हाल ही में H-1B वीज़ा शुल्क में $100,000 की वृद्धि और अमेरिकी सरकार द्वारा प्रस्तावित 25% ऑफशोर खर्च कर के बारे में खबरें पढ़कर मुझे एक बार फिर अपने पुराने विचारों की याद आ गई हैं। यह कोई नई चुनौती नहीं है; बल्कि यह एक विकसित होती हुई भू-राजनीतिक वास्तविकता है जिसके बारे में मैंने सालों पहले चर्चा की थी। यह देखना संतोषजनक है कि भारतीय IT उद्योग ने किस तरह इन परिवर्तनों को पहले से ही पहचान कर अपनी रणनीतियों को अनुकूलित करना शुरू कर दिया था, और मुझे अपनी उस दूरदर्शिता पर एक बार फिर मुहर लगती दिख रही है, जिसकी मैं सालों से बात कर रहा था।
मुझे याद है कि मैंने कई साल पहले ही यह सुझाव दिया था कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों के बीच, भारतीय IT कंपनियों को अपनी व्यावसायिक रणनीतियों में अधिक लचीलापन लाने की आवश्यकता होगी। उस समय मैंने यह भी कहा था कि "आउटसोर्सिंग सौदों जहां IT सेवा प्रदाता कम लागत वाले संसाधनों को विदेशी बाजारों में भेजने की कोशिश कर रहे हैं, उन पर असर पड़ेगा। कुछ ने पहले ही स्थानीय स्तर पर भर्ती करना शुरू कर दिया है, जिसके कारण लागत निश्चित रूप से बढ़ेगी। ये सेवा प्रदाता उन सौदों पर बातचीत करना शुरू कर देंगे जब वे नवीनीकरण के लिए आएंगे" Economic Times, 2017। आज, यह देखना उल्लेखनीय है कि ये पूर्वानुमान कितने सटीक साबित हुए हैं।
बदलती चुनौतियाँ और भारतीय IT का अनुकूलन
ज़ेरोधा के The new H1B rules take a hit at Indian IT लेख में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे H-1B वीज़ा शुल्क में भारी वृद्धि और ऑफशोरिंग पर 25% कर लगाने का proposed bill भारतीय IT उद्योग के पारंपरिक 'ऑनसाइट-ऑफशोर' मॉडल की नींव हिला रहा है। यह मॉडल, जो दशकों से भारतीय IT कंपनियों की लागत-दक्षता का आधार रहा है, अब पहले जैसा व्यवहार्य नहीं रह गया है।
लेकिन यह मेरे लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मैंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि कंपनियों को केवल श्रम-मध्यस्थता (labour arbitrage) पर निर्भर रहने के बजाय एक अधिक मजबूत और विविध मॉडल की ओर बढ़ना होगा। 2017 में ही, मैंने यह विचार रखा था कि भारतीय IT कंपनियों को राजस्व वृद्धि को भर्ती से 'अलग' करने के तरीके खोजने होंगे MoneyControl, 2017। आज, हम देखते हैं कि Infosys और HCL जैसी बड़ी कंपनियाँ पहले से ही इस दिशा में काम कर रही हैं, स्थानीय स्तर पर अधिक प्रतिभा को काम पर रख रही हैं और ऑफशोरिंग के अनुपात को बढ़ा रही हैं The new H1B rules take a hit at Indian IT।
GCCs: एक रणनीतिक प्रतिक्रिया
यह देखना दिलचस्प है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) इस बदलते परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभर रहे हैं। GCCs न केवल भारतीय प्रतिभा के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी भारत में उच्च-मूल्य वाले कार्यों को स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जो पहले अमेरिका में होते थे Reuters, 2025। जैसा कि Techstrong ITSM ने 2024 में बताया, GCCs प्रतिभा तक पहुँच, लागत बचत और नवाचार के प्रमुख चालक बन गए हैं Techstrong ITSM, 2024। यह एक मजबूत प्रमाण है कि मैंने जो रणनीतिक बदलाव और अनुकूलन की वकालत की थी, वह आज उद्योग के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बन रहा है।
इस चुनौती को एक अवसर के रूप में देखना आवश्यक है। जैसा कि Analytics India Magazine ने 2025 में उल्लेख किया, H-1B नीति परिवर्तन वास्तव में भारतीय IT के लिए "अच्छी खबर" हो सकता है, क्योंकि यह कंपनियों को H-1B पर अपनी निर्भरता कम करने और स्थानीय प्रतिभा को नियुक्त करने के लिए मजबूर करता है Analytics India Magazine, 2025।
आगे का रास्ता: नवाचार और आत्मनिर्भरता
यह केवल अमेरिकी नियमों के बारे में नहीं है, बल्कि भारतीय IT उद्योग के लचीलेपन और दूरदर्शिता के बारे में है। मेरे शुरुआती विचारों का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि हमें केवल मौजूदा मॉडलों को दोहराने के बजाय नवाचार और आत्म-निर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आज, यह पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
यह समय है कि भारतीय IT कंपनियाँ न केवल लागत-दक्षता पर ध्यान केंद्रित करें, बल्कि उच्च-मूल्य वाले नवाचारों, उत्पाद विकास और विविध भौगोलिक बाजारों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करें। यह हमें किसी भी भू-राजनीतिक उथल-पुथल के खिलाफ और भी अधिक लचीला बनाएगा।
Regards,
Hemen Parekh
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